
आज के समय में anxiety in kids यानी बच्चों में चिंता एक आम लेकिन नजरअंदाज की जाने वाली mental health problem बन गई है। परेशानी यह है कि ज़्यादातर parents और teachers इसे शुरुआत में पहचान नहीं पाते। बच्चों में anxiety के लक्षण बड़ों से काफी अलग होते हैं, और कई बार तो बच्चा खुद भी यह समझा नहीं पाता कि वह अंदर से कैसा महसूस कर रहा है।
अगर हम इन early signs को समय पर पहचान लें, तो न सिर्फ हम बच्चे को mental health issues से बचा सकते हैं, बल्कि उसे emotionally ज्यादा strong और confident बना सकते हैं।
इस blog में हम आपको बताएंगे 7 ऐसे signs जिन्हें पहचानना हर parent के लिए जरूरी है।

जब बच्चा बार-बार शिकायत करता है – “मम्मी, मेरा पेट दुख रहा है” या “मेरे सिर में दर्द है,” और medically कोई clear reason नहीं मिलता, तो अक्सर parents इसे हल्के में ले लेते हैं। लेकिन कई बार ये anxiety in kids का early symptom हो सकता है।
Anxiety बच्चों की body के ज़रिए बाहर निकलती है – जैसे बार-बार headaches, stomach pain, nausea या vomiting की शिकायतें। यह एक stress-related physical response होता है।
बच्चों को खुद भी समझ नहीं आता कि उनका दर्द emotional है या mental tension की वजह से है, इसलिए वो सिर्फ physical pain की complaint करते हैं — जो दरअसल anxiety in kids का संकेत होता है।
What to do:
➤ बच्चे से calmly बात करें।
➤ उसे comfort दीजिए और pressure मत डालिए।
➤ Reassure करें कि वो safe है और कोई problem नहीं है।
2. बार-बार डर लगना या negative सोचना (Constant Fear or Negative Thoughts)

अगर बच्चा बार-बार कह रहा है – “मुझे डर लग रहा है,” या “अगर exam खराब हो गया तो?” तो ये sign है कि बच्चा anxious है।
छोटे-छोटे situations में डरना – जैसे new place, exam, competition या strangers – ये दिखाता है कि बच्चा अंदर से safe feel नहीं कर रहा है।
Anxiety वाले बच्चे usually worst-case सोचते हैं और future की unnecessary चिंता करते हैं। Example – “मुझसे तो हमेशा गलती हो जाएगी…” और ये भी anxiety in kids का early symptom हो सकता है।
What to do:
➤ उनके डर को हल्का मत कहिए, सुनिए और validate करिए।
➤ Positive examples और stories से motivate करिए।
➤ Gradually exposure दीजिए ताकि उनका confidence बढ़े।
3. Social life से दूर भागना या अकेले रहना (Social Withdrawal)

अगर कोई बच्चा जो पहले दोस्तों के साथ खेलता था, अब अचानक अकेले बैठना पसंद करने लगे या ग्रुप में जाने से बचे, तो यह एक चिंता का संकेत हो सकता है। ऐसे बच्चे अक्सर सोचते हैं कि लोग उन्हें जज करेंगे या उनकी गलतियों का मज़ाक बनाएंगे, इसलिए वे crowd से दूरी बनाने लगते हैं। ये व्यवहार धीरे-धीरे social anxiety/Anxiety in kids की शुरुआत हो सकता है, जहां बच्चा हर interaction में खुद को असहज महसूस करता है। कई बार ये स्थिति तब और बिगड़ जाती है जब बच्चा पर्याप्त आराम या ⟨better sleep⟩ नहीं ले पाता, जिससे उसकी emotional control और self-confidence दोनों प्रभावित होते हैं।
What to do:
➤ Child को force मत करिए।
➤ Small groups या familiar environments में introduce करिए।
➤ Time के साथ slowly उनकी confidence build करिए।
4. बार-बार चिड़चिड़ाना या mood swings (Irritability & Mood Changes)

Anxiety in kids सिर्फ sadness या डर के रूप में नहीं दिखती, बल्कि कई बार यह गुस्से, चिड़चिड़ाहट या अचानक बदलते मूड (sudden mood swings) के ज़रिए भी सामने आती है। ऐसे बच्चे छोटी-छोटी बातों पर irritate हो जाते हैं, क्योंकि वे पहले से ही mentally disturbed और emotionally overwhelmed होते हैं।
चाहे स्कूल में teacher की कोई बात हो या घर पर छोटे sibling का disturb करना – ये सब situations उन्हें बहुत भारी (overwhelming) लगती हैं, और वे नार्मल तरीके से react नहीं कर पाते।
What to do:
➤ गुस्से के पीछे की problem को समझिए।
➤ Calm behavior से बात करिए।
➤ Meditation, deep breathing जैसी techniques में slowly interest जगाइए।
5. नींद से जुड़ी दिक्कतें (Sleep Disturbance)

अगर बच्चा कहता है कि उसे नींद नहीं आती, डरावने सपने आते हैं या वह रात में बार-बार जागता है, तो यह anxiety in kids का संकेत हो सकता है। ऐसा बच्चा दिन की चिंताओं को रात में भी अपने साथ लेकर चलता है, जिससे उसका मन शांत नहीं हो पाता।
अक्सर उनके मन में डर भरी सोचें घूमती रहती हैं – जैसे “अगर मैं अकेले सोया तो क्या होगा?” या “अंधेरे में कुछ हो गया तो?”। ये repetitive thoughts उनकी नींद disturb कर देती हैं, जिससे बच्चा सुबह तक ठीक से rest नहीं कर पाता। समय रहते इन संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है।
What to do:
➤ सोने से पहले peaceful routine बनाइए (story, light music)।
➤ Screen time कम करिए।
➤ Night routine में positive thoughts discuss करिए।
6. Overthinking या बार-बार confirmation लेना (Overthinking & Reassurance Seeking)

Anxiety in kids का एक आम संकेत यह है कि बच्चे बार-बार reassurance मांगते हैं। ऐसे anxious बच्चे अक्सर पूछते हैं – “Are you sure मैं ठीक रहूंगा?” या “पापा, आप नाराज़ तो नहीं हो?” उन्हें हर बात में बार-बार confirmation चाहिए होता है, क्योंकि उनका mind हर चीज़ को overthink करता है। यह बताता है कि बच्चा अंदर से बहुत ज़्यादा unsure और insecure महसूस कर रहा है।
What to do:
➤ Clear answers दीजिए लेकिन बार-बार reassurance से बचिए।
➤ Encourage करिए कि वो खुद पर trust करे।
➤ “What if…” thinking को positive में बदलिए।
7. स्कूल जाने से डरना या avoid करना (School Avoidance)

बहुत से anxious बच्चे स्कूल जाने से डरने लगते हैं — जैसे पेट दर्द का बहाना बनाना, रोना या साफ़ मना कर देना। ये anxiety in kids के common signs हो सकते हैं। इसके पीछे कारण हो सकते हैं: exam का डर, bullying, teacher का strict व्यवहार या किसी दोस्त से जुड़ी कोई परेशानी। अगर बच्चा बार-बार स्कूल जाने से मना करता है, तो यह long-term anxiety को बढ़ा सकता है।
What to do:
➤ धीरे-धीरे child को prepare करिए।
➤ Teachers से communicate करिए।
➤ Routine maintain करिए ताकि बच्चा धीरे-धीरे fear को manage करे।
Parents के लिए जरूरी Tips:

✔️ बच्चे की feelings को lightly मत लीजिए।
✔️ हर time उन्हें confident और secure feel कराइए।
✔️ Regularly उनकी बातें सुनिए और समझिए।
✔️ Physical health के साथ emotional health का भी ध्यान रखिए।
✔️ अगर signs long-term दिखें, तो school counselor या child psychologist से help लीजिए।
Anxiety in Kids एक ऐसी problem है जिसे नजरअंदाज करना future में emotional health के लिए risk बन सकता है।
Parents का role बहुत important होता है — बच्चों को safe, heard और understood feel कराना ही उनकी healing का पहला step है।
Early support से बच्चा न सिर्फ anxiety से बाहर आ सकता है, बल्कि future challenges के लिए mentally strong बन सकता है।